उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित भिलंगना ब्लॉक के नौताड़ तोक क्षेत्र में एक भयंकर बादल फटने की घटना सामने आई है। इस प्राकृतिक आपदा ने पूरे क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। रिपोर्टों के अनुसार, इस घटना के कारण एक व्यक्ति के गदेरे में बहने की सूचना है जबकि तीन लोग अभी भी लापता हैं। इस घटना ने स्थानीय निवासियों के बीच भय और चिंता का माहौल बना दिया है।
घटना के दौरान नौताड़ तोक क्षेत्र में भारी बारिश के कारण गदेरे का जलस्तर अचानक से बढ़ गया। इस बाढ़ ने क्षेत्र में कई घरों, होटलों और अन्य संरचनाओं को अपने चपेट में ले लिया। क्षेत्र में एक होटल पूरी तरह से बह गया है और इस दौरान दो व्यक्तियों की मौत हो गई है। इसके अलावा, एक युवक अभी भी लापता है, जिसके लिए खोज और बचाव अभियान जारी है।
स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग तुरंत हरकत में आए और राहत एवं बचाव कार्यों की शुरुआत की। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की टीमें मौके पर पहुंची और बाढ़ में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने का कार्य किया। इन टीमों ने नावों और अन्य बचाव उपकरणों का उपयोग करके बाढ़ में फंसे लोगों को बचाया।
इस आपदा के कारण नौताड़ तोक क्षेत्र में सड़कों और पुलों को भी भारी नुकसान हुआ है। बाढ़ के पानी के कारण कई रास्ते अवरुद्ध हो गए हैं, जिससे राहत सामग्री और बचाव टीमों को प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने में कठिनाई हो रही है। स्थानीय प्रशासन ने सड़कों को साफ करने और यातायात बहाल करने के लिए मशीनरी और कर्मियों को तैनात किया है।
भिलंगना ब्लॉक के नौताड़ तोक क्षेत्र के निवासियों ने इस घटना के बारे में बात करते हुए कहा कि उन्होंने पहले कभी ऐसा विनाशकारी दृश्य नहीं देखा था। उन्होंने बताया कि बादल फटने के बाद कुछ ही मिनटों में बाढ़ का पानी उनके घरों और होटलों में घुस गया। लोग अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर भागने लगे। इस दौरान कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया और उनके घरों को भी भारी नुकसान हुआ।
उत्तराखंड सरकार ने इस घटना को गंभीरता से लिया है और प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्वास के लिए सभी संभव सहायता प्रदान करने का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री ने प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और अधिकारियों को त्वरित और प्रभावी राहत कार्य सुनिश्चित करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि सरकार बाढ़ प्रभावित लोगों को हर संभव मदद देगी और उनके पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाएगी।
इस घटना ने एक बार फिर से पहाड़ी क्षेत्रों में प्राकृतिक आपदाओं की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाओं का बढ़ना जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय असंतुलन का परिणाम हो सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि ऐसे क्षेत्रों में स्थायी विकास योजनाओं और आपदा प्रबंधन उपायों की आवश्यकता है।
July 31, 2024 at 10:56AM
0 Comments